Ekta Singh

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लेखनी कहानी -06-Jan-2023

❤❤❤वो ख़त वाला ज़माना❤❤❤

बहुत ही खूबसूरत था वो ख़त वाला ज़माना। 
क्यूंकि इस बंद लिफाफे में बहुत कुछ छिपा होता था।कभी बहन का प्यार था,कभी पत्नी का मनुहार था,कभी माँ की तड़प,प्रेमिका की बिछुड़न का एहसास था।

यह विषय देख कर लग रहा है जैसे मैं पुराने समय में चली गई हूँ।मुझे याद आ रहा कि मैं ही अपने घर 
में सबको पत्र लिखती थीं।

मेरी दादी अक्सर अपने भाई भूदेव सिंह(बाबा)को ख़त मुझसे लिखवाया करती थीं।

फिर मुझे ईनाम मे कुछ ना कुछ देती।
अपनी मम्मी के पत्र भी मैं ही लिखती थीं।
मम्मी मामा जी को राखी के साथ एक खत भी भेजती थीं जो कि मैं ही लिखती।

मुझे बहुत आनंद ख़त लिखने मे आता था।
मेरे कोई भाई नहीं था।तो मेरे ताऊजी के बेटों और चाचा के बेटों को मैं राखी और ख़त लिख कर भेजती।क्यूंकि उनके कोई बहन नहीं थी। तो हर साल मैं उनको राखी भेजती।

कह सकते है मैं अपने घर का डाकिया बाबू थीं। 
हाहाहा हाहाहा हाहाहा 

एक राज की बात बताऊँ प्लीज किसी को बताना मत••••••••••• 1994 मुझे भी एक लड़के से प्यार हो गया।दरअसल बात ये है कि ये लड़का मेरे अंकल का बेटा था।हम दोनों ही परिवारो में बहुत गहरी दोस्ती थीं। उन अंकल का बेटा हमारे घर के ऊपर एक कमरा था जो पापा ने उसको पढ़ाई के लिए दे दिया था। क्यूंकि वह ओपन से बारहवी की परीक्षा दे रहा था। तो वही पढ़ाई करता था उधर ही सोता था। 
खाना वो हमारे घर ही खाता था।पता नहीं कैसे आँखों ही आँखों मे मुझे उससे प्यार हो गया। ये प्यार सिर्फ़ मेरी तरह से था। उसको यह पता भी नहीं था।12 की परीक्षा देकर वो चला गया।लेकिन 
मेरा दिल चोरी हो गया।

फिर वो कभी कभी अपने परिवार के साथ आता।मै सब को खाना लगाती चाय भी देती पर उससे अपने मन की बात नहीं कह पाती।इन बातों को दो साल बीत गए।वो जब समाने आता मै कुछ कह नहीं पाती।जब वो चला जाता तो चुपके चुपके बहुत रोती।

उस समय में फोन भी नहीं होते थे।
साजन मूवी के सोंग खूब सुनती 

मेरा दिल भी इतना पागल है।
जो प्यार भी तुमसे करना है।
पर सामने जब तुम आते हो। 
कुछ भी कहने से डरता है।
ओ मेरे साजन ओ मेरे साजन।

फिर एक दिन वो हुआ जिस बात के लिए मैं बेकरार थीं।

उसने अपने दोस्त के हाथों एक ख़त भेजा।प्यार का इजहार उस ख़त में था।

मैं तो पागल हो गई। ना जाने कितनी बार उस ख़त को पढ़ा।मुझे खुद ही नहीं पाता।फिर तो हमारे खतो का सिलसिला चल पड़ा।बस हर 15 दिन बाद उसका ख़त आता लेकिन नाम उसकी बहन का नाम होता था।
ये सिलसिला एक साल तक चलता रहा।

बंद तो जब हुआ जब मेरे और उसके परिवार में सबको पता चल गया।

फिर उसके पापा मम्मी मेरे घर रिश्ता लेकर आए और सही एक साल बाद हम दोनों की शादी हो गई। 
ये खतो ने हमारी प्रेम कहानी शुरू की थीं।जिससे मेरी जिन्दगी बहुत ही खूबसूरत हो गई। 

आज भी मैं सोच -सोच के शरमा जाती हूँ।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊




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9 Comments

प्रिशा

04-Feb-2023 10:01 PM

👌👌👏

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Sushi saxena

08-Jan-2023 08:11 PM

Nice

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Rajeev kumar jha

07-Jan-2023 07:17 PM

बेहतरीन

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